विपणन शोध का क्षेत्र बताइए Scope or Subject Matter of Marketing Research

Scope or Subject Matter of Marketing Research

विपणन शोध का क्षेत्र या विषय-सामग्री

विपणन शोध का क्षेत्र निरन्तर बढ़ता जा रहा है। अब विपणन शोध केवल ग्राहक की रुचियों, प्रकार तथा उत्पादों के ब्राण्ड, नामकरण एवं उपयोग तक ही सीमित नहीं रह गया है। अपितु इससे भी आगे बढ़ गया है। वस्तुतः इसके क्षेत्र या विषय-सामग्री में आज विपणन के अत्यन्त जटिल, गतिशील एवं गहन आर्थिक-सांस्कृतिक प्रभावों का भी अध्ययन किया जा रहा है। संक्षेप में, विपणन शोध के क्षेत्र में ये बातें सम्मिलित की जा सकती हैं—

(1) उपभोक्ता शोध – उपभोक्ता शोध में उपभोक्ताओं की समस्याओं तथा उनके समाधान के विभिन्न तरीकों का अध्ययन किया जाता है। जैसे—विद्यमान एवं भावी उपभोक्ताओं के संबंध में व्यक्तिगत सूचनाएँ, संस्था के उत्पादों के क्रय करने के कारणों का पता लगाना, उत्पाद के प्रति उपभोक्ता के दृष्टिकोण एवं धारणाओं का विश्लेषण, उपभोक्ताओं की प्रवृत्तियों एवं व्यवहार का अध्ययन करना, विक्रय पश्चात् सेवा के संबंध में उपभोक्ताओं के विचार जानना, उपभोक्ताओं की इच्छाओं एवं आवश्यकताओं का ज्ञान करना, उपभोक्ता के क्रय-व्यवहार का अध्ययन करना और उपभोक्ता संतुष्टि के स्तर को ज्ञात करना आदि।

(2) उत्पाद शोध – उत्पाद शोध में उत्पाद के भौतिक, तकनीकी एवं बाजार संबंधी अनेक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर—संस्था के उत्पादों की लाभदायकता एवं निष्पादन योगयता का मूल्यांकन करना, उत्पाद में नवीन परिवर्तन करना, उत्पाद अनुकूलता, उत्पाद रेखा सरलीकरण, उत्पाद परित्याग की लाभदेयता का विश्लेषण, विद्यमान उत्पादों के दोषों का विश्लेषण, उत्पाद विचार परीक्षण, वर्तमान उत्पादों के नये उपयोगों का विश्लेषण, अपने उत्पादों में सुधार की आवश्यकता का विश्लेषण, उत्पाद में नवीन परिवर्तन करना और उत्पाद के नाम, ब्राण्ड, लेबल, पैकेजिंग एवं पैकिंग आदि में सुधार।

(3) बाजार शोध- बाजार शोध में किसी विशिष्ट बाजार के उपभोक्ताओं या कि विशिष्ट उत्पाद को बाजार संबंधी सूचनाओं का संकलन एवं अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में, बाजार शोध में ये कार्य शामिल हैं बाजार में उपभोक्ताओं की संख्या एवं प्रकृति का निर्धार करना, सामान्य व्यापार पूर्वानुमान करना, बाजार ढाँचे को प्रभावित करने वाले घटक, प्रतिस्पर्द्धि की व्यूह रचना का अध्ययन करना, विद्यमान उत्पाद का बाजार विश्लेषण करना, संस्था के बाजार पर सरकारी नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण करना, उत्पादों की मांगों का पूर्वानुमान करना, बाजार प्रवृत्ति का विश्लेषण करना आदि।।

(4) विक्रय शोध- विक्रय शोध में बिक्री से संबंधित समस्याओं का विश्लेषण किय जाता है एवं विक्रय वृद्धि के उपायों की खोज की जाती है। इसलिए इसमें ये बातें सम्मिलित की जाती हैं— विक्रम को मात्रा एवं विक्रय निष्पादन का मूल्यांकन करना, विक्रय प्रशिक्षण की आवश्यकता का निर्धारण करना, विक्रय से अर्जित लाभों का विश्लेषण करना, विक्रय क्षेत्रों को स्थापना करना, विक्रय विधियों का विश्लेषण करना, विक्रय श्रृंखलाओं एवं वितरण लागत विश्लेषण, विक्रेताओं को प्रभावशीलता का मापन करना आदि।

(5) मूल्य निर्धारण शोध- इसमें उपभोक्ताओं पर उत्पाद मूल्यों के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। जैसे— प्रतिस्पद्ध संस्थाओं की मूल्य नीतियों की जानकारी करना, कीमत- मात्रा लाभ विश्लेषण करना, अपने उत्पादों के भिन्न-भिन्न मूल्यों का परीक्षण करना मूल्य की माँग को ज्ञात करना, उपभोक्ताओं को मूल्य भुगतान करने की क्षमता का अध्ययन करना, संस्था को मूल्य नौतियों के प्रति उपभोक्ताओं को प्रतिक्रिया की जानकारी करना एवं उपभोक्ताओं द्वारा अपेक्षित मूल्यों की जानकारी करना आदि।

(6) वितरण शोध— वितरण शोध के अन्तर्गत ये बातें शामिल की जाती हैं, जैसे- विद्यमान वितरण माध्यों का मूल्यांकन करना, माल ढुलाई की विधियों तथा समस्याओं का अध्ययन करना, प्रतिस्पद्धों संस्थाओं की वितरण श्रृंखलाओं का अध्ययन करना, स्टॉक संग्रह की अनुकूलतम सीमा का निर्धारण करना, थोक एवं फुटकर व्यापार प्रणालियों का अध्ययन करना, परिवहन के वैकल्पिक साधनों का तुलनात्मक अध्ययन करना, वितरण लागतों का अध्ययन करना, मध्यस्थों की आवश्यकताओं का अध्ययन करना।

(7) अभिप्रेरणा शोध— अभिप्रेरणा शोध में उपभोक्ता की प्रेरणाओं एवं उसके व्यवहार के कब, क्या, क्यों एवं कैसे आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में, ये बातें शामिल की जाती हैं, जैसे-उपभोता की प्रेरणाएँ उपभोक्ता के संवेगों का अध्ययन करना, क्रेताओं को व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन करना, उपभोक्ता संतुष्टि के प्रतिमान निर्धारित करना, उपभोक्ता जागरुकता का अध्ययन करना, उपभोक्ता की आवश्यकता एवं इच्छा के स्तर को निर्धारित करना आदि।

(8) संवर्द्धनात्मक शोध-विपणन संवर्द्धन प्रत्येक संस्था का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। विक्रम संवर्द्धन हेतु विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, व्यक्तिगत विक्रय, प्रचार एवं जनसम्पर्क आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है। संवर्द्धनात्मक शोध के प्रमुख पहलू ये हैं, जैसे-विज्ञापन माध्यम की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना, विक्रय संवर्द्धन की विधियाँ खोजना, विक्रप संवर्धन विधियों का विश्लेषण करना, व्यक्तिगत विक्रय की समस्याओं का विश्लेषण करना, विक्रय संवर्द्धन के विभिन्न माध्यमों की उपयोगिता का तुलनात्मक अध्ययन करना और विज्ञापन संदेश स्वरूप एवं डिजाइन की प्रभाविता की समीक्षा करना आदि।

(9) निर्यात विपणन शोध- निर्यात विपणन शोध में निर्यात विपणन की समस्याओं, सम्भावनाओं एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जैसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार वातावरण के घटक, निर्यात विपणन की समस्याओं का अध्ययन करना, संस्था के लिए निर्यात विपणन मिश्रण निर्धारित करना, विदेशी बाजारों में विक्रय संस्कृति, प्रचार पद्धतियाँ एवं विक्रय अभिप्रेरणाओं आदि का अध्ययन करना एवं विभिन्न बाजारों के प्रचलित मूल्य नीति का अध्ययन करना आदि।

(10) नीति शोध – विपणन कार्य की सफलता सुदृढ़ नीतियों पर निर्भर करती है। अतः विपणन शोध द्वारा संस्था की उत्पादन, वित्त, सेवीवर्गीय एवं लेखांकन आदि नीतियों का भी अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार इसमें ये बिन्दु शामिल किये जाते हैं, जैसे विभिन्न प्रकार की नीतियाँ, बदलते हुए परिप्रेक्ष्य में विद्यमान नीतियों में परिवर्तन की आवश्यकता को निर्धारित करना, देश की नवीन आर्थिक नीतियों को विपणन क्रियाओं के प्रभावों का अध्ययन करना, प्रतिस्पद्ध संस्थाओं की नीतियों से संस्था की नीतियों की तुलना करना, संस्था की नीतियों पर वातावरण के घटकों के प्रभावों का अध्ययन करना, विद्यमान नीति में आवश्यक सुधार करना आदि।

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