सेवीवर्गीय प्रबंध का क्या अर्थ है ? सेवीवर्गीय प्रबंध के क्षेत्र एवं कार्यों को बताइए।, Meaning of Personnel Management

Meaning of Personnel Management

सेवीवर्गीय प्रबंध का अर्थ एवं परिभाषाएँ

सेवीवर्गीय प्रबंध, प्रबन्ध प्रक्रिया का वह भाग है जो कि मुख्यतः किसी संगठन के मानवीय तत्वों (Human Factors) से संबंधित है। दूसरे शब्दों में, यह सामान्य प्रबंध का विस्तार है जिसमें व्यवस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना पूर्णतम योगदान देने के लिए प्रोत्साहित एवं अभिप्रेरित किया जाता है।

सेवीवर्गीय प्रबंध जिसे कार्मिक कर्मचारी प्रबंध भी कहते हैं की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ मैनेजमेंट के अनुसार, “सेवीवर्गीय प्रशासन को मानव शक्ति की भर्ती, उपयोग एवं विकास के दृष्टिकोण से सर्वसक्षम, नियोजित, क्रियात्मक एवं पुनर्मूल्यांकन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। ”

(2) हार्वर्ड एम. डर्क्स के शब्दों में, “सेवीवर्गीय प्रबंध, एक सुदृढ़ गत्यात्मक कार्य से संबंधित वह आधुनिक विचारधारा है जो मानवशक्ति साधनों का विकास एवं उपयोग इस दृष्टि से करती है जिससे कि व्यवस्था के उद्देश्यों की अधिकतम सीमा तक प्राप्ति हो सके।”

(3) थॉमस जी. स्पेट्स के मतानुसार, “सेवीवर्गीय प्रशासन पर लगे हुए व्यक्तियों को संगठित करने और उनके साथ व्यवहार करने के तरीकों की एक ऐसी संहिता है जिससे वे अपनी वास्तविक योग्यताओं का अधिकतम सदुपयोग कर सकें और अपने वर्ग की कार्य कुशलता को अधिकतम सीमा तक बढ़ा सकें और इस प्रकार इस संगठन को जिसके कि वे अंग हैं, निर्धारक प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ और अनुकूलतम परिणाम दे सकें।”

इस प्रकार सेवीवर्गीय प्रबंध / प्रशासन कुशल कार्यशील शक्ति की सुव्यवस्थित भर्ती है जिसमें मानवीय साधनों को व्यावसायिक वातावरण में इस प्रकार ढाला जाता है कि संभावित कर्मचारी अपनी बढ़ती हुई कार्यकुशलता से संगठन को मूल्यवान सेवाएँ प्रदान करने के योग्य बनें जिसके वे अभिन्न अंग हैं।

सेवीवर्गीय प्रबंध का क्षेत्र/कार्य (Scope or Functions of Personnel Management)

सेवीवर्गीय प्रबंध के कार्यों को दो भागों में विभक्त किया जाता है— प्रबंधकीय एवं संचालनात्मक कार्य/प्रबंधकीय कार्यों में सेवीवर्गीय प्रबंध सेवीवर्गीय विभाग की क्रियाओं से संबंधित होते हैं और संचालनात्मक कार्यों में सेवीवर्गीय विभाग द्वारा किये जाने वाले कार्यों को सम्मिलित किया जाता है। संक्षेप में इन दोनों कार्यों का विवेचन इस प्रकार है– 

(I) प्रबंधकीय कार्य (Managerial Functions)—

(1) नियोजन–  नियोजन में सेवीवर्गीय प्रबंध का कार्य सेवीवर्गीय कार्यक्रमों एवं नीतियों का पूर्व निर्धारण करना है। इसके लिए प्रबंधक अनेक प्रश्नों का पूर्व में भी निर्धारण करता है, जैसे कितने एवं किस तरह के कर्मचारियों को आवश्यकता है, उन्हें कैसे अभिप्रेरित किया जा सकता है आदि।

(2) संगठन- सेवीवर्गीय प्रबंधक कार्य विश्लेषण, सही व्यक्ति का चुनाव, रुचि के अनुसार कार्य का वितरण, अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का निश्चयन, अधिकारों का प्रत्यायोजन करके संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है।

(3) निर्देशन- सेवीवर्गीय प्रबंध अपने विभाग की क्रियाओं का संचालन करता है अर्थात् वह पूर्व निर्धारित दिशा या मार्ग पर चलने के लिए व्यक्तियों का पथ-प्रदर्शन करता है एवं उन्हें अभिप्रेरित भी करता है।

(4) नियंत्रण– नियंत्रण के अन्तर्गत सेवीवर्गीय प्रबंध कर्मचारियों के निष्पादन का मूल्यांकन करता है और निष्पादन कुशलता में वृद्धि करने में भी सहायता करता है। परिणामतः यदि आवश्यक हो तो सुधारात्मक कदम उठाया जा सके।

(II) संचालनात्मक कार्य (Operative Functions)— 

(1) कर्मचारियों की अधि प्राप्ति सेवीवर्गीय प्रबंध संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति करने के लिए उचित प्रकार के एवं उचित मात्रा में कर्मचारियों की अधि प्राप्ति का कार्य करता है। इसके अन्तर्गत मानवीय साधनों की आवश्यकता का निर्धारण किया जाता है, कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, उनका चयन करके उपयुक्त कार्य पर नियुक्ति की जाती है, कार्य-परिचय कराया जाता है, और आवश्यकता होने पर स्थानान्तरण, प्रशिक्षण, पुनर्प्रशिक्षण, छँटनी, सेवामुक्ति एवं पृथक्करण आदि भी किया जाता है।

(2) मजदूरी एवं वेतन प्रशासन- सेवीवर्गीय प्रबंध सभी कार्यों का विश्लेषण कर, प्रचलित आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मजदूरी की दरें तथा वेतन श्रृंखला निर्धारित करता है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर अन्य उपक्रमों में प्रचलित पारिश्रमिक पद्धतियों का भी अध्ययन करता है। आनुषंगित लाभ एवं प्रेरणाओं का निर्धारण भी इसी का कार्यक्षेत्र है।

(3) मानवीय संसाधनों का विकास– मानवीय संसाधनों का विकास करना भी वर्गीय प्रबंध का कार्य है। प्रबंधवेता मेक्ली लैण्ड का मत है कि आधुनिक संगठनों में व्यक्ति की उच्च स्तर की आवश्यकता है—उपलब्धि, मान्यता, मैत्री अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गयी है। सेवीवर्गीय प्रबंधक पदोन्नति, प्रशिक्षण, कार्य सम्पन्नता, कार्य परिवर्तन, सहभागिता, संवदेनशीलता, प्रशिक्षण, प्रत्यायोजन आदि से कर्मचारियों का विकास करते हैं।

(4) समूह भावना विकसित करना— सेवीवर्गीय प्रबंध संगठन के कर्मचारियों, श्रमिकों के अच्छे संबंध विकसित करने एवं विभिन्न कार्यों पर कार्य करने वाले समूहों में भावना विकसित करने के लिए भी कार्य करता है। इस दशा में अनौपचारिक सम्प्रेषण तथा सुझाव प्रणाली भी साधन के रूप में उपयोग में लाये जा सकते हैं।

(5) कर्मचारी कल्याण एवं सुरक्षा– सेवीवर्गीय विभाग उपक्रम के कर्मचारियों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएँ चिकित्सा, परिवहन, शिक्षा, आवास, मनोरंजन, खेलकूद, शिक्षा एवं जलपान गृह आदि की व्यवस्था करता है ताकि कर्मचारियों को कार्यक्षमता में वृद्धि होने के साथ-साथ उनमें अपनत्व की भावना भी पैदा हो।

सेवीवर्गीय विभाग कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मातृत्व लाभ, बीमारी, बेरोजगारी, दुर्घटना आदि योजनाएँ अपनाता है और उनका क्रियान्वयन भी करता है।

(6) औद्योगिक संबंध– सेवीवर्गीय विभाग का श्रम एवं पूँजी के मध्य मधुर औद्योगिक संबंधों की स्थापना करना भी एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए सेवीवर्गीय प्रबंध कर्मचारियों की शिकायतों एवं परिवेदनाओं का उचित समाधान करके उनका सहयोग प्राप्त कर सकता है। और उन्हें अधिकतम कार्य करने के लिए भी प्रेरित कर सकता है। सेवीवर्गीय प्रबंधक कर्मचारियों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है और वह कर्मचारियों को उनकी कार्य समस्याओं, उलझनों, व्यक्तिगत दुःखों एवं मानसिक तनावों से मुक्ति दिलाता है।

(7) सामूहिक सौदेबाजी– सेवीवर्गीय प्रबंधक श्रमिकों की आकांक्षाओं, आवश्यकताओं एवं माँगों की पूर्ति हेतु उनके या उनके संघ अथवा संघों के साथ बैठकर उनकी माँगों पर विचार करता है और इन सामूहिक वार्त्ताओं के जरिये सेवा शर्तों पर निश्चित अवधि के लिए सामूहिक अनुबंध कर लेता है, ताकि उस अवधि में इस हेतु कोई विवाद उत्पन्न न हो।

(8) सेवीवर्गीय अंकेक्षण एवं अभिलेख– सेवीवर्गीय विभाग द्वारा सेवीवर्गीय अंकेक्षण एवं अभिलेख का कार्य किया जाता है ताकि सेवीवर्गीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों की प्रभापशीलता का मूल्यांकन किया जा सके। इसके अतिरिक्त सेवीवर्गीय विभाग उपक्रम के सभी कर्मचारियों की नियुक्ति, योग्यता, प्रशिक्षण, पारिश्रमिक, छुट्टियाँ, अनुपस्थिति कार्य आदि का निष्पादन, अनुसंधान आदि का अभिलेख भी रखता है।

(9) जन-सम्पर्क– सेवीवर्गीय विभाग सार्वजनिक संस्थाओं, जनता, सरकार एवं बाह्य वर्गों से निरन्तर सम्पर्क बनाये रखता है, ताकि उपक्रम अपने दायित्वों का सफल निर्वाह कर सके। इसके लिए भाषण, सेमीनार, पत्रिका प्रकाशन, सरकारी संस्थाओं में प्रतिनिधित्व, समाज कल्याण संस्थाओं आदि से सम्पर्क आदि कार्यों को भी किया जाता है।

(10) परिवर्तन का प्रबंध– गतिशील प्रबंध संगठन को आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी आदि परिवर्तनों से समायोजित करने के लिए योजनाएँ बनाते हैं। यदि परिवर्तन कर्मचारियों के हितों तथा योग्यताओं को चुनौती देते हैं, तो वे परिवर्तन का विरोध करते हैं। ऐसी परिस्थिति में सेवीवर्गीय प्रबंध/विभाग कर्मचारियों को परिवर्तन के संबंध में शिक्षित कर, क्षतिपूर्ति का आश्वासन देकर एवं प्रशिक्षण योजनाएँ बनाकर परिवर्तन को लागू करने में प्रबंध का सहयोग करता है। स्वयं सेवीवर्गीय प्रबंधक परिवर्तन प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।

(11) तथ्य संग्रहण– तथ्य संग्रहण प्रत्येक संगठन का आवश्यक कार्य है क्योंकि यह प्रबंध को महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है। इसमें सेवीवर्गीय प्रबंध संगठन के कर्मचारियों से संबंधित सूचनाओं का संग्रह करता है, जैसे—श्रम संबंध प्रबंध अनुबंध, पंचनिर्णय तथा श्रम प्रबंध के बारे में हुई नई-नई खोज से संबंधित समस्त सांख्यिक सामग्री आदि ।

(12) सेवीवर्गीय कार्यों का मूल्यांकन– सेवीवर्गीय कार्यों के मूल्यांकन का अर्थ कर्मचारियों से संबंधित कार्यक्रमों को प्रभावशीलता के मापन से है। क्या उपक्रम की सेवीवर्गीय नीतियाँ अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल रही हैं ? क्या इनमें किसी प्रकार के सुधार की आवश्यकता है ? आदि का ज्ञान मूल्यांकन की मदद से किया जाता है। यह सेवीवर्गीय प्रबंध का महत्त्वपूर्ण कार्य है क्योंकि इन कार्यों को अधिक प्रभावशाली बनाना इनके सही मूल्यांकन पर ही निर्भर करता है।

(13) शोध एवं अनुसंधान– आधुनिक युग में सेवीवर्गीय प्रबंध का शोध एवं अनुसंधान करना भी एक महत्त्वपूर्ण कार्य माना जाता है। इसलिए सेवीवर्गीय प्रबंध के लिए यह आवश्यक है कि शोध एवं अनुसंधान की मदद से आधुनिकतम तकनीकों एवं तथ्यों का ज्ञान प्राप्त करे ताकि सेवीवर्गीय समस्याओं का तुरन्त समाधान किया जा सके। शोध एवं अनुसंधान द्वारा सेवीवर्गीय प्रबंधक, चयन, प्रशिक्षण, वेतन एवं मजदूरी प्रशासन, कर्मचारी कल्याण, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा आदि के श्रेष्ठ तरीकों का विकास कर सकता है।

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