सम्प्रेषण के विभिन्न प्रकारों को समझाइए. different types of communication

types of communication

सम्प्रेषण के विभिन्न प्रकार

प्राचीन काल में सम्प्रेषण के प्रकारों में केवल मौखिक सम्प्रेषण उपलब्ध थे। किन्तु आज व्यक्ति ने विभिन्न प्रकार के सम्प्रेषण को विकसित कर लिया है क्योंकि व्यावसायिक क्षेत्रों में अनेक प्रकार के परिवर्तन हो गये हैं।

सम्प्रेषण के प्रकार निम्नलिखित आधारों पर विभक्त किये जा सकते हैं–

(I) दिशा के आधार पर

1. अधोगामी सम्प्रेषण

2. उर्ध्वगामी सम्प्रेषण

3. समतल सम्प्रेषण।

4. विकर्णीय सम्प्रेषण

(II) व्याख्या के आधार पर

1. शाब्दिक सम्प्रेषण- (i) मौखिक सम्प्रेषण एवं (ii) लिखित सम्प्रेषण।

2. गैर शब्दिक सम्प्रेषण

(III) संबंधों के आधार पर

1. औपचारिक सम्प्रेषण।

2. अनौपचारिक सम्प्रेषण।

सम्प्रेषण के प्रत्येक प्रकार की व्याख्या निम्नलिखित है-

(1) दिशा के आधार पर

(1) अधोगामी सम्प्रेषण जब संदेश का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर अर्थात् उच्चाधिकारियों से सहायकों एवं अधीनस्थों की ओर होता है तो इसे अधोगामी या ऊपर से नीचे → या अवरोही सम्प्रेषण कहते हैं। उदाहरण के तौर पर एक संस्था महाप्रबंधक विभागाध्यक्ष → अधीक्षक → पर्यवेक्षक कर्मचारी को संदेश (आदेश-निर्देश) एक सीधी रेखा में प्रवाहित होते हैं।

अधोगामी सम्प्रेषण अनेक रूपों में हो सकते हैं जैसे—नीति, विवरण, विधि विवरण, संस्था के संगठन चार्ट कार्य करने के संबंध में विशेष सूचियाँ, बजट आदि अधोगामी सम्प्रेषण प्रायः वैयक्तिक निर्देश, निजी भेंट, सभाओं एवं सम्मेलन, भाषण, विचार गोष्ठी पत्र, वार्षिक रिपोर्ट, पत्रिकाओं, सूचना-पट्ट, बुलेटिन, हस्तसंकेत आदि द्वारा प्रेषित किये जाते हैं।

(2) उर्ध्वगामी सम्प्रेषण-जब संदेश का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर अर्थात् अधीनस्थ कर्मचारियों से सहायकों और सहायकों से उच्चाधिकारियों की ओर होता है तो इसे उर्ध्वगामी या नीचे से ऊपर या आरोही सम्प्रेषण कहते हैं। उदाहरण के तौर पर एक संस्था में कर्मचारी/श्रमिक → पर्यवेक्षक → अधीक्षक → विभागध्यक्ष → महाप्रबंधक को संदेश (निवेदन, सुझाव, प्रतिवेदन, शिकायत आदि) एक सीधी रेखा में प्रवाहित होता है।

ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही प्रकार के हो सकते हैं। संस्था में ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण की स्वतंत्रता के लिए प्रबंध में खुलेद्वार नीति, परिवेदना प्रणाली, सुझाव प्राप्ति, अभिवृत्ति, सर्वेक्षण, कर्मचारी प्रबंध बैठक, संयुक्त प्रबंध समिति, संघ प्रतिनिधि एवं सहभागिता आदि की व्यवस्था की जाती है। ऊर्ध्वगामी सम्प्रेषण मौखिक साक्षरता, टेलीफोन, प्रत्यक्ष विचार-विमर्श, सभायें, सम्मेलन, संघ प्रतिनिधि एवं लिखित व्यक्तिगत पत्र, सुझाव, शिकायतें रिपोर्ट एवं संघ प्रकाशन आदि प्रमुख साधन हैं।

(3) समतल सम्प्रेषण- समान स्तरीय व्यक्तियों/अधिकारियों के मध्य संदेशों का आदान- प्रदान समतल या क्षैतिज सम्प्रेषण कहलाता है। अन्य शब्दों में, समतल सम्प्रेषण वह सम्प्रेषण है जो कि संगठन के समान स्तरीय अधिकारियों अथवा कर्मचारियों अथवा विभागाध्यक्षों आदि के मध्य होता है। उदाहरण के लिए, उत्पादन प्रबंधक वित्त प्रबंधक सेवीवर्गीय प्रबंधक विज्ञापन प्रबंधक विपणन प्रबंधक अनुसंधान प्रबंधक के मध्य सम्प्रेषण इसी प्रकार में आता है।

समतल सम्प्रेषण को कार्य रूप देने के लिए अनेक साधनों या माध्यमों का उपयोग किया जाता है, जैसे—संयुक्त परामर्श, सभाएँ, सम्मेलन, टेलीफोन अथवा स्वयं एक दूसरे के विभाग में जाकर, मोबाइल, व्याख्यान, ग्रेपवाइन पद्धति, सामाजिक कार्य-कलाप, वार्षिक प्रतिवेदन, पत्र, बुलेटिन, बोर्ड, पोस्टर, हैण्डबुक, मैन्युअल्स, हाउस आर्गन एवं कम्प्यूटर नेटवर्किंग आदि।

(4) विकर्णीय सम्प्रेषण-जब विचारों तथ्यों एवं सूचनाओं का आदान-प्रदान विभिन्न स्तर पर कार्य करने वाले व्यक्तियों के मध्य होता है, जिनमें प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग संबंध विद्यमान नहीं होते हैं तो ऐसे सम्प्रेषण को विकर्णीय/आरेख सम्प्रेषण कहते हैं। इस प्रकार का सम्प्रेषण रेखा एवं कर्मचारी (विशेषज्ञ) विभाग के संबंधों के कारण आवश्यक हो जाता है। कर्मचारियों के मध्य विभिन्न प्रकार के संबंध हो सकते हैं। कोई भी विशेषज्ञ कार्यात्मक सत्ता में होने पर दूसरे विभाग के रेखा कर्मचारी को आदेश निर्देश दे सकता है।

(II) व्याख्या के आधार पर

(1) मौखिक सम्प्रेषण – जब कोई संवाद या सूचना मुख से उच्चारण कर प्रेषित की जाये तो इसे मौखिक सम्प्रेषण कहते हैं। अन्य शब्दों में, मौखिक सम्प्रेषण से अभिप्राय उस संवाद या संदेश या सूचना से होता है, जिसे मुख के उच्चारण द्वारा प्रेषित किया जाता है, लेखनी द्वारा लिखकर नहीं।

इस प्रकार मौखिक सम्प्रेषण, सम्प्रेषण की एक प्रक्रिया के अन्तर्गत सर्वोपरि है क्योंकि इस प्रकार के शब्दों के साथ-साथ शारीरिक भाषा का भी प्रयोग किया जाता है जिससे संदेश प्रेषण के हाव-भाव को भी जाना जा सके।

मौखिक सम्प्रेषण में प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम, साक्षात्कार, संयुक्त विचार-विमर्श, सभाएँ एवं सम्मेलन, भाषण, टेलीफोन, मोबाइल, यात्री प्रतिनिधि, श्रम संघ, टेलीविजन सभा आदि साधनों या माध्यमों का उपयोग किया जाता है।

(2) लिखित सम्प्रेषण-लिखित सम्प्रेषण से आशय उस संदेश के सम्प्रेषण से है, जो लिखित में हो। अन्य शब्दों में, यह एक ऐसा सम्प्रेषण का प्रकार है जो मौखिक न होकर लिखित रूप में होता है। जिस सम्प्रेषण में सूचनाओं का आदान-प्रदान लिखकर करते हैं, अधिकांशतः औपचारिक होता है, वह लिखित सम्प्रेषण के नाम से जाना जाता है।

लिखित सम्प्रेषण में इन माध्यमों या साधनों का उपयोग किया जाता है, जैसे— प्रचार, बुलेटिन, वार्षिक प्रतिवेदन, स्मरण पत्र, कार्यवाही विवरण का सूक्ष्म, राजकीय प्रकाशन, संगठन पुस्तिकाएँ, व्यापारिक पत्रिकायें, सुझाव परियोजनाएँ, नीति-पुस्तिकाएँ, आदि।

(3) गैर-शाब्दिक सम्प्रेषण यह एक प्रकार का वह सम्प्रेषण माध्यम है जिसमें संदेश प्रेषक-शारीरिक भाषा एवं संकेतों का प्रयोग करता है। अन्य शब्दों में, गैर-शाब्दिक सम्प्रेषण का आशय ऐसे सम्प्रेषण माध्यम से है जिसमें मौखिक एवं लिखित शब्दों का प्रयोग न कर दृश्य श्रव्य संकेतों एवं शरीरिक भाषा का उपयोग कर विचारों का आदान-प्रदान किया पीठ थपथपाना या मुस्काना या हाथों का इशारा करना या मन ही मन में मुस्कराना आदि। जाता है। जैसे हाथ मिलाना, सिर हिलाना, आँखों को झपकाना, मुँह मोड़ना, शाबाशी देना या पीठ थपथपाना या मुस्कुराना यह तो का इशारा करना या मन ही मन में मुस्कुराना आदि ।

(III) संबंधों के आधार पर

(1) औपचारिक सम्प्रेषण— जब संदेश प्रेषक एवं संदेश गृहीता के बीच विद्यमान संबंध औपचारिक होते हैं, तब उनके मध्य संदेशों का आदान-प्रदान औपचारिक सम्प्रेषण कहलाता है। ये संदेश प्रायः लिखित में ही होते हैं एवं लिखित में ही भेजे जाते हैं। संबंधों में औपचारिकता का अनुमान कर्मचारियों की स्थिति से लगाया जाता है। कम्पनी की स्थिति एवं दो कर्मचारियों के मध्य विद्यमान संबंधों का ज्ञान चार्ट द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

औपचारिक सम्प्रेषण जब कोई उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के पास कोई संदेश भेजना चाहता है तो वह यह कार्य अधीनस्थ कर्मचारियों की सोपानिक श्रृंखला के माध्यम से करता है अर्थात् वह अमुक संदेश अपने अधीनस्थ अधिकारी को देता है एवं वह अधीनस्थ अधिकारी अपने अधीनस्थ को। इसके विपरीत यदि कोई कर्मचारी पदाधिकारी के नाम सम्प्रेषण (सुझाव, निर्देशन या शिकायत) पहुँचाता है तो वह कार्य अपने ऊपर स्थित उच्चाधिकारी के माध्यम से ही कर सकता है।

औपचारिक सम्प्रेषण स्थायी आदेश, मैनुअल्स, हैण्डबुक्स, वार्षिक प्रतिवेदन या बुलेटिन आदि के रूप में भेजे जा सकते हैं।

(2) अनौपचारिक सम्प्रेषण अनौपचारिक सम्प्रेषण का अभिप्राय उस संदेशवाहन से होता है, जो संदेश प्रेषक एवं संदेश प्रेषिति के बीच अनौपचारिक संबंध विद्यमान होने पर प्रेषित किया जाता है, जिसके प्रेषण में किसी प्रकार की औपचारिकता नहीं निभानी पड़ती है और न ही ऐसे संदेशों के आदान-प्रदान के लिए संगठन चार्ट प्रदर्शित मार्गों के अनुसरण की आवश्यकता पड़ती है। वस्तुतः संदेश दोनों पक्षकारों के मध्य भिन्न एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों पर आधारित होते हैं। इसलिए इसके अन्तर्गत कर्मचारियों के आसपास रहने, विभिन्न विभागों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों में भिन्नता होने, सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से मिलने के फलस्वरूप उत्पन्न संबंध होते हैं।

Leave a Comment