भर्ती की प्रक्रिया
हम जानते हैं कि भर्ती योग्य व्यक्तियों की एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्तियों को आवेदन करने के लिए प्रेरित किया जाता है और प्रोत्साहित भी। किन्तु इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है-
(i) कर्मचारियों के कार्य की प्रकृति एवं योग्यता का निर्धारण-
एक बड़े संगठन में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य की प्रकृति, कार्य को निष्पादित करने के लिए योग्यता, कौशल एवं गुणों आदि का सही-सही निर्धारण करना आवश्यक है। इसके लिए दो कार्य करने होते हैं-
(1) कार्य विश्लेषण– यह निर्दिष्ट कार्यों, क्रियाओं एवं प्रत्येक कार्य की आवश्यकताओं के निर्धारण की एक पद्धति है। इसलिए इसके अन्तर्गत क्रियाओं, कर्त्तव्यों एवं कार्यों के संगठनात्मक पहलुओं पर विचार किया जाता है ताकि विशिष्टताओं या कुछ व्यक्तियों के अनुसार कार्य विवरणों की प्राप्ति की जा सके। इस प्रकार विभिन्न कर्मचारियों द्वारा किये जाने वाले कार्य के विश्लेषण हेतु दो क्रियाएँ की जाती हैं-
(i) कार्य विवरण कार्य विश्लेषण का एक लिखित कथन है। उसमें आने वाले विभिन्न कर्त्तव्यों, उत्तरदायित्वों एवं संगठनात्मक संबंधों का लिखित में उल्लेख किया जाता है, जैसे तकनीकी आवश्यकताएँ एवं कार्यदशाएँ आदि ।
(ii) कार्य विश्लेषण के द्वारा विशिष्ट कार्य का विश्लेषण करके कार्य निष्पादन एवं कार्य विशिष्ट विवरण तैयार किये जाते हैं। इनसे यह ज्ञात हो जाता है कि किसी कार्य विशेष को करने के लिए कर्मचारियों में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है। सामान्यतः इसमें इन सूचनाओं का उल्लेख होता है—व्यक्ति में शारीरिक गुण, मानसिक गुण, तकनीकी गुण, अधिकार एवं दायित्व वहन क्षमता, निर्णय क्षमता, वातावरण और भावनात्मक पहलू तथा कार्य अनुभव आदि ।
इस प्रकार कार्य विवरण एवं कार्य विशिष्ट विवरण की सहायता से व्यक्तियों की वांछितयोग्यताओं का निर्धारण हो जाता है।
(2) वर्तमान कर्मचारियों का पुनरावलोकन- कर्मचारियों की प्रकृति एवं योग्यताओं के निर्धारण हेतु वर्तमान कर्मचारियों का पुनरावलोकन किया जाता है। वर्तमान में कार्य कर रहे व्यक्तियों का मूल्यांकन करके यह देखना आवश्यक है कि किस क्षमता एवं योग्यता के व्यक्ति किस कार्य में कितने सफल हैं एवं उनमें यदि कुछ परिवर्तन की आवश्यकता हो तो आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाये। इस प्रकार यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि भर्ती किये जाने वाले कर्मचारियों में क्या-क्या गुण होने चाहिए ताकि उस स्तर के व्यक्तियों की भर्ती की जा सके।
(II) कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण-
कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में दूसरा महत्त्वपूर्ण कदम कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण करना है। इसके लिए निम्नलिखित आधारों का उपयोग किया जा सकता है।
(1) विभागों में कार्य की मात्रा, पदों की संख्या
(2) कार्य की भावी योजनाएँ
(3) वर्तमान कर्मचारियों की संख्या
(4) कर्मचारियों की आवर्तन दर
(5) भावी विकास की संभावनाएँ
(6) प्रति कर्मचारी कार्य का अनुमान
इस प्रकार उपर्युक्त सभी आधारों या घटकों पर विचार करते हुए कर्मचारियों की संख्या का निर्धारण किया जा सकता है।
(III) भर्ती के स्रोतों का निर्धारण-
यह व्यक्तियों की भर्ती की अन्तिम प्रक्रिया है। भर्ती के स्रोत आन्तरिक एवं बाह्य होते हैं। जिनका हम अध्ययन कर चुके हैं। प्रत्येक स्रोत के लाभ-हानि हैं। अतः एक कुशल प्रबंधक को समय-समय पर दोनों ही स्रोतों से कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ती है। वस्तुतः कर्मचारियों की वांछित योग्यता, कार्य की प्रकृति, तकनीकी ज्ञान, प्रशिक्षण की मात्रा, वित्तीय बोझ, तकनीकी परिवर्तनों की मात्रा, प्रबंधकीय दृष्टिकोण, सृजनात्मकता पर बल आदि घटकों पर यह निर्भर करेगा कि भर्ती के विभिन्न स्रोतों का कितना सहारा लिया जाये। केवल आन्तरिक या बाह्य लो पर निर्भर रहना संस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। अतः योग्य प्रबंधक आन्तरिक एवं बाह्य दोनों ही स्रोतों का परिस्थितियों के अनुसार पूर्ण प्रयोग करते हैं।