
किस्म नियंत्रण का अर्थ एवं परिभाषाएँ
किस्म नियंत्रण का अर्थ निर्मित वस्तु या सेवा की वास्तविक किस्म की प्रमापित किस्म से तुलना करके ऐसी व्यवस्था से है जिससे किस्म में सुधार आ सके और वर्तमान कमियों को दूर किया जा सके। अन्य शब्दों में, यह किसी निर्माण प्रक्रिया में आने वाले उन चलों का व्यवस्थित नियंत्रण है जो निर्मित होने वाले उत्पाद की श्रेष्ठता को प्रभावित करते हैं।
किस्म नियंत्रण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
(1) जान ए. शुबिन के शब्दों में, “किस्म नियंत्रण से आशय निर्धारित प्रमापों से विचलनों एवं दोषों के पहचान योग्य कारणों को जानने तथा उन्हें दूर करने से है।”
(2) अल्फोर्ड एवं बेट्टी के मतानुसार, “किस्म नियंत्रण औद्योगिक प्रबंध की ऐसी तकनीक या तकनीकों का समूह है, जिसके द्वारा एक जैसे स्वीकृत-योग्य, योग्य उत्पाद तैयार किये जाते हैं।”
(3) डाल्टन ई. मैक्फरलैण्ड के अनुसार, “किस्म नियंत्रण एवं निरीक्षण कार्यक्रम का बुनियादी विचार यह सुनिश्चित करना है कि जिस सीमा तक व्यावहारिक एवं संभव हो, ग्राहक ऐसी वस्तु प्राप्त करे जो दोषपूर्ण नहीं हो और प्रत्येक वस्तु उन प्रमापों के अनुरूप हो जिसे कम्पनी प्राप्त करना चाहती है। ” इस प्रकार नियंत्रण से तात्पर्य निर्माणी प्रक्रिया के दौरान उन परिवर्तनशील घटकों को व्यवस्थित ढंग से नियंत्रित करने से है जो अन्तिम उत्पाद की श्रेष्ठता को प्रभावित करते हैं। ऐसे परिवर्तनशील घटक मनुष्यों, मशीनों, सामग्रियों एवं परिस्थितियों की भिन्नता के कारण उत्पन्न होते हैं।”
किस्म नियंत्रण में ये विशेषताएँ देखी जा सकती हैं-
(1) यह उत्पादन प्रबंध की एक तकनीक या विधि है।
(2) किस्म नियंत्रण के अन्तर्गत निर्धारित प्रमापों के अनुसार उत्पादन करने पर बल दिया जाता है।
(3) यह एक ऐसी तकनीक है जो ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करने में योगदान देती है।
(4) इसमें किस्म मूल्यांकन निहित है। इसलिए घटिया एवं दोषपूर्ण किस्म के कारणों की खोज कर उन्हें दूर किया जाता है।
(5) किस्म नियंत्रण वस्तु के स्वरूप, संरचना, आकार एवं भार आदि गुणों के प्रमाप निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
(6) इसमें निर्मित माल का पूर्व निर्धारित प्रमापों से तुलना करने पर एवं अंतरों का विश्लेषण करने पर जोर दिया जाता है।
(7) यह वस्तुओं को स्वीकृत स्तर के अनुरूप निर्मित करती है। इसके लिए विश्वसनीय निरीक्षण व्यवस्था की जाती है।
(8) किस्म नियंत्रण आधुनिक प्रबंध का मौलिक दर्शन बन गया है। इसलिए इसमें किस्म के प्रति चेतना जाग्रत करने के लिए प्रशिक्षण एवं प्रलोभन सम्मिलित हैं।
किस्म नियंत्रण के उद्देश्य/आवश्यकता एव महत्त्व (Objectives/Need and Importance of Quality control)
किस्म नियंत्रण उत्पादन एवं विपणन कार्य का आधार है। किसी भी वस्तु एवं सेवा को लोकप्रिय बनाने के लिए किस्म नियंत्रण अत्यधिक आवश्यक है। नये उत्पादक एवं वितरक जिन वस्तुओं की किस्म में प्रतिस्पर्द्धात्मक गिरावट आ रही है, उन वस्तुओं की अच्छी किस्म की गारन्टी देकर बाजार हथियाने का प्रयास करते हैं। यही नहीं किस्म नियंत्रण से उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के साथ ही साथ सामग्री एवं श्रम लागत में भी कमी की जा सकती है। ”
किस्म नियंत्रण के उद्देश्य/आवश्यकता एवं महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है—
(1) उत्पादन प्रभावशीलता में वृद्धि – किस्म नियंत्रण के उत्पादन प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जाता है, प्रत्येक व्यक्ति किस्म के निर्धारित प्रमाप के प्रति जागरूक रहता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया की प्रभावशीलता में वृद्धि होती है। कुशल किस्म नियंत्रण प्रबंधक उत्पादन, ‘उत्पादन प्रबंधन की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है।
(2) विक्रय में वृद्धि – किस्म नियंत्रण में अच्छी एवं एकरूप वाली वस्तुओं का निर्माण संभव होता है जिससे बाजार में ग्राहक उस वस्तु को खरीदने के लिए तत्पर रहते हैं। परिणामस्वरूप वस्तुओं के विक्रय में वृद्धि होती है। कुछ प्रतिष्ठानों, जैसे-टाटा, बिड़ला, डालमियाँ, बजाज आदि के उत्पादों का अत्यधिक विक्रय अच्छी किस्म के कारण ही होता है।
(3) लागत में कमी- किस्म नियंत्रण में उत्पादन सामग्री के अपव्यय एवं क्षय की मात्रा कम हो जाती है, रद्द या अस्वीकृत माल की मात्रा घट जाती है। घटिया माल को सुधारने की समस्या समाप्त हो जाती है और निरीक्षण लागत में कमी आती है। इन सबके परिणामस्वरूप लागतों में कमी आती है एवं संस्था के लाभ बढ़ जाते हैं।
(4) संस्था की ख्याति में वृद्धि – किस्म नियंत्रण प्रणाली लागू करने से संस्था की ख्याति में वृद्धि होती है। यह धारणा बिलकुल सत्य प्रतीत होती है क्योंकि जो संस्था किस्म नियंत्रण प्रणाली को जितने कठोर एवं प्रभावपूर्ण तरीके से लागू करती है, उसकी वस्तुएँ उतनी ही अधिक लोकप्रिय होती हैं और ख्याति में वृद्धि होता है।
(5) सामाजिक उत्तरदायित्वों की पूर्ति – सुदृढ़ किस्म नियंत्रण में अच्छी किस्म की वस्तुओं का उत्पादन होता है, जिससे कई सामाजिक हितों की रक्षा होती है। घटिया किस्म की दवाइयाँ मानव-जीवन को समाप्त कर सकती हैं। घटिया किस्म के इन्जन दुर्घटनाओं में वृद्धि कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त घटिया किस्म के बीच, खाद, कीटनाशक दवाइयाँ आदि किसानों की मेहनत व्यर्थ कर सकती हैं। इन सबके लिए किस्म नियंत्रण एक व्यापक सामाजिक आवश्यकता है।
(6) कर्मचारियों की कार्य क्षमता का मूल्यांकन – किस्म नियंत्रण के प्रमाप श्रमिकों को अपनी कार्य-कुशलता को मापने में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं और प्रबंधकों द्वारा भी आसानी से व्यक्तिगत रूप से श्रमिक एवं विभाग की कार्यकुशलता को मापा जा सकता है।
(7) उत्पादन नियोजन एवं अभियान्त्रिकी में सहायक – किस्म उत्पादन नियोजन एवं अभियांत्रिकी तथा डिजाइन में सहायक होता है। यदि उत्पादन प्रक्रिया की समस्या को खोजने के लिए प्रयोग किया जाता है। नियंत्रण चार्ट यह निर्धारित करने में सहयोग देता है कि वांछित किस्म स्तर को प्राप्त करने में उत्पादन प्रक्रिया उपयुक्त है या नहीं।
(8) ग्राहकों की संतुष्टि — प्रभावी किस्म नियंत्रण के फलस्वरूप ग्राहकों को सदैव अच्छी किस्म की वस्तुएँ उपलब्ध करवायी जा सकती हैं। इसका कारण यह है कि इसके द्वारा ग्राहकों की अपेक्षाओं के अनुरूप वस्तुओं को उत्पादित करने का प्रयास किया जाता है। फलस्वरूप उनकी संतुष्टि में वृद्धि होती है।
(9) उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उत्पादन एवं उपयोग-प्रभावी किस्म नियंत्रण से कारखाने में होने वाले क्षय, घटिया उत्पादन, सामग्रियों एवं संसाधनों के दुरुपयोग पर नियंत्रण रखा जा सकता है। यही नहीं, उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार भी लाया जा सकता है। परिणामस्वरूप उपलब्ध संसाधनों से अधिकतम उत्पादन के साथ उनका अधिकतम उपयोग किया जाता है।
( 10 ) कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि – किस्म नियंत्रण प्रणाली लागू किये जाने से कर्मचारियों को निर्धारित प्रमाणों के अनुसार अपने उत्पादन कार्यों का निष्पादन करना पड़ता है और चूँकि कर्मचारी स्वयं कार्य कुशलता का मूल्यांकन कर उसमें वृद्धि हेतु प्रयास कर सकते हैं जिससे उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि के साथ-साथ उनके मनोबल में भी वृद्धि होती है।
(11) क्रेताओं की जाँच कार्य में कमी—प्रभावी किस्म नियंत्रण वस्तु क्रय करते समय क्रेताओं को उनकी जाँच एवं निरीक्षण करने की आवश्यकता को भी कम करते हैं और क्रेता बिना किसी जाँच एवं हिचक के वस्तुएँ क्रय कर सकते हैं।
(12) अन्य शीर्षक-
(i) किस्म नियंत्रण के द्वारा वृहत् पैमाने पर उत्पादन की एकरूपता प्राप्त की जा सकती है। इससे ग्राहकों को क्रय में अत्यन्त सुविधा हो जाती है।
(ii) किस्म नियंत्रण से ग्राहक असंतुष्टि, शिकायतों एवं क्रय आदेशों के रद्द होने से संभावानायें कम हो जाती हैं।
(iii) निर्धारित प्रमापों के अनुसार उत्पादन किये जाने के कारण उत्पादन प्रक्रिया के विभिन्न बिन्दुओं पर निरीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
(iv) संस्था में किस्म चेतना को प्रोत्साहन मिलता है।
जार्ज एस. रेडफोर्ड ने किस्म नियंत्रण की आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट करते हुए, लिखा है कि ” यह सामान्य अनुभव की बात है कि यदि किसी उद्योग की वस्तुएँ निश्चित एवं समान किस्म अर्थात् प्रमापित किस्म की है तो उत्पादन, वितरण, उपभोग में सर्वाधिक मितव्ययिता होती है।”